किडनी स्टोन का इलाज करने के बाद भी दुबारा किडनी स्टोन होने के चान्सेस होते है| इसमें डाइट का महत्त्वपूर्ण रोल है| तो मैं आज आपको ७ डाइट टीप्स बताऊँगा|
पहली टीप्स बहुत जादा पानी पीना| दुसरी टीप्स खाने में जादा कॅल्शियम और बहुत जादा ऑक्झलेट जिसकी वजसे स्टोन बनते है| ऐसी खाने की चीजे डाइट में नही होना चाहिये| तिसरी टीप्स एक्स्ट्रा कॅल्शियम की गोलीयाँ ना खाये| डाइट में जितना कॅल्शियम मिलता है, उतना ही पर्याप्त है| चौथी टीप्स आपके डाइट में प्रोटीन की मात्रा| आपके डाइट में प्रोटीन की मात्रा पर्याप्त होनी चाहिए| लेकिन बहुत ज्यादा प्रोटिन होना किडनी स्टोन के पेशंट के लिए खतरनाक हो सकता है| और किडनी स्टोन बनाने के लिए जिम्मेदार हो सकता है| प्रोटिन पावडर बिल्कुल ना ले|
पाचवी टीप्स आपके डाइट में कॅल्शियम योग्य मात्रा में होना चाहिए, परंतु कॅल्शियम बिल्कुल भी नही होना चाहिए, ऐसे नही है| लोगों के मन में एक गलत फैमी है की, किडनी स्टोन के पेशंटने कॅल्शियम डाइट नही लेना चाहिए| हरी सब्जी, दुध के पदार्थ इसमे कॅल्शियम होता है| और ये चीजे कम मात्रा में खानी चाहिए| छठवी टीप्स विटामीन सी की गोलीयाँ नही खानी है| विटामीन सी ज्यादा लेने पर किडनी स्टोन बनने का कारण बन सकता है| आप रोज खाना खाते है, उसमे विटामीन सी पर्याप्त होता है| नींबू, मोसंबी, संत्रे इसमे विटामीन सी होता है| ये सब खा सकते है, पर विटामीन सी की गोलीयाँ ना खाये| सातवी टीप्स आप अपने डाइट में नमक कितना ले रहे है, ये भी महत्त्वपूर्ण है| ज्यादा नमक खाना इसमे सोडियम होता है, और ये किडनी स्टोन बनाने के लिए कारण बन सकता है| तो आप एक्स्ट्रा टेबल सॉल्ट कभी भी ना ले| ये सात टिप्स का पालन करो और किडनी स्टोन से मुक्त हो जाओ|
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जिन को किडनी स्टोन है, तो क्या खाना चाहिए| हररोज नारियल का पानी एक या दोन ग्लास पी सकते है| मक्का भी ज्यादा खा सकते है| राईस या मुरमुरे, अननस, केला, बादाम, नींबू, गाजर, करेले की सब्जी खा सकते है| बहुत ज्यादा पानी पीना चाहिए|
मुरमुरे नाश्ते मे खा सकते है और उसमे प्रोटीन जादा होता है| केले मे पोटॅशियम होता है, इसलिए केला भी खाना जरुरी है| बादाम खाते वक्त उपर का छिलका निकालने ना भूले| किडनी स्टोन के पेशंट को नींबू खाना बहुत लाभदायक है| उसमे अल्कलाईन होता है|
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किडनी में पत्थर होना यह आम स्वास्थ की बीमारी है| जिन को किडनी स्टोन है| या दुबारा किडनी स्टोन ना हो| इसलिए खाने में क्या नही खाना चाहिए|
ऑक्सलेट स्टोन और युरीन अँसिड स्टोन यह किडनी स्टोन के दो मुख्य प्रकार है| खाने के चीजों से ऑक्झलेट और युरिन अँसिड की मात्रा बढ़ जाती है| इसलिए किनडी स्टोन तैयार होते है|
पालक, लौकी, टमारटर, आँवला, चिकू, काजू, ककडी, मनके यह चीजे नही खानी चाहिए| कोबी, कद्दू, मशरूम, बैंगण की सब्जी इसके अलावा जो दूध के पदार्थ है| यह सब चीजे कम मात्रा में खानी चाहिए| मांसाहार भी बंद करना चाहिए| नमक कम मात्रा में खाना चाहिए| जादा नमक खाने से किडनी स्टोन बढ़ने के चान्सेस जादा होते है| तो ‘नो एक्स्ट्रा टेबल साल्ट’ कभी भी ना ले|
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अगर आप बहोत दिनों बाद पहाड़ चढ़ रहे है या ट्रेकपर जा रहे हो| आपने नया-नया जीम जॉईन किया है, वेट लॉस कर रहे है| तो आप में से कही लोगोंने आपके मसल्स में अलग प्रकार का पेन होता है| जो एक हफ्ता या देढ़ हफ्ता चलता है और बाद में चला जाता है| इसे हम मेडिकल भाषा में ‘डिलेड ऑनसेट ऑफ मसल्स सोरनेस’ कहते है| जब आप जीम नया जॉईन करते है| तो कोई नये लोग होते है वो जीम आधे में ही छोड देते है|
मसल्स सोरनेस के मुख्य दो कारण क्या है? इसका पहले कारण जब आप वेट ट्रेनिंग करते है| कही दिनों से जो आपके अनयुज्ड मसल्स है ओ भी काम करना शुरू करते है| मसल्स पर तणाव आता है| इनको एनर्जी देने का काम ग्लायकोजन नाम का पदार्थ शरीर में करता है| ये ग्लायकोजन जब ब्रेक होता है| तो इसमें से लॅक्टिक अँसिड नाम का पदार्थ बाहर आता है| हमारे शरीर में लॅक्टिक अँसिड जमा होता है, इसलिए हमको मसल्स में दर्द होता है| जैसे हम कार्डिओ करते है| इसमें आमतौर पर ये नही होता है| मसल्स पे कुछ तणाव है| तभी लॅक्टिक अँसिड तयार होता है|
दुसरा कारण मसल्स पर तणाव आता है| तब ओ थोडेसे ब्रेक होते है| तुटते है तो दर्द देते है| जब वो तुटेंगे फिरसे रिग्रो करेंगे तभी मसल्स ग्रोथ होता है| तो आपके मसल्स में दर्द होता है| तो यह एक अच्छा लक्षण होता है| दर्द होगा तो समझिए आपका एक्सरसाइज सही तरीके से हो रहा है| जब मसल्स ब्रेक होते है| तब भी इनमें से ग्रोथ हार्मोन और टेस्टोस्टरॉन हार्मोन रिलीज होता है| ग्रोथ हार्मोन और टेस्टोस्टरॉन हार्मोन पुरे शरीर को काम आता है|
मसल्स सोरनेस के लिए सबसे पहिला उपाय है| जीम शुरू करने से पहिले वार्मअप करना और खतम होने के बाद स्ट्रेच करना| पाच- पाच मिनीट समय देंगे| तो शुरूवात में मसल्स सोरनेस कम होगा| दुसरा उपाय है, अगर आप शाम को या किसीभी टाईम को एरोबिक एक्टिव्हिटी करेंगे| उसके बाद लॅक्टिक अँसिड निकल जायेगा और आपका दर्द अपने आप कम हो जायेगा|
तिसरा उपाय है, जीम होने के बाद १० या १५ रुककर ठंडे पानी से नहाये| साधा पानी से नहाने के बाद मसल्स दर्द होना कम होगा| चौथा उपाय है, अच्छी नींद लेना| पहिला बार जीम जॉइन कर रहे हो तो रात को ८ घंटा नींद लेना जरुरी है| नींद इस दर्द का सबसे अच्छा इलाज है| पाचवा उपाय है, प्रोटीन का सेवन करना| दिन में दो से तीन नींबू पानी का सेवन करना| ये भी शरीर का मसल्स सोरनेस कम करने का काम करता है| छटा उपाय है, आप अलग-अलग दिन अलग अलग मसल्स ग्रुपस् को ट्रेन करे|
मसल्स सोरनेस होता है तो क्या नही करना चाहिए| ये सबसे जादा महत्त्वपूर्ण है| कुछ लोक एक दिन ब्रेक लेकर एक्सरसाइज करते है| तो एक्सरसाइज नही रोखना ये भी एक मसल्स सोरनेस का एक उपाय है| वर्कआऊट से पहले जो दर्द होता है वो वर्कआऊट से ही चला जायेगा|
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अपना आयडियल वजन कितना होना चाहिए? यह सवाल हर किसीके मन में होता है| इसका वैज्ञानिक उत्तर ढुंढने की कोशिश करते है| तो आज मैं आपको वो उत्तर बताना चाहता हूँ|
हर दस साल में आयसीएमआर (ICMR) की NIN संस्था नेशन वाईज सर्व्हे करती है| पुरुष-स्त्री का आयडियल वजन कितना होना चाहिए, यह वो संस्था तय करती है| २०१० में सर्व्हे किया गया था और अभी २०२० मे भी सर्व्हे हो गया है| एनआयएनने बताया की, १९ साल के उपर अडल्ट पुरुष का आयडियल वजन ६५ किलो होना चाहिए| स्त्री का आयडियल वजन ५५ किलो होना चाहिए| २०१० मे ये आकडे पुरुष ६० और स्त्री ५० किलो था| अभी पाँच आकडे बढ़ा दिये गये|
अगर पुरुष का वजन ६५ और स्त्री का ५५ किलो से जादा है| तो आपके शरीर में लाइफ स्टाईल डिजीज् आना शुरू हो जायेगा| इसमे ह्रदयरोग, डायबिटिस, उच्च रक्तचाप आदी बीमारी आपके शरीर में आने की संभावना जादा है| इसलिए वजन बढ़ जाये तो तुरंत वजन कम करने पर ध्यान देना चाहिए|
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मास्क हा विषय पुस्तकात लिहिण्यासारखा झालेला आहे. तसेच वैद्यकीय विद्यार्थ्यांनी मास्कवर पीएचडी करण्यासारखा विषय झालेला आहे. मास्क हा घटक आता कायमस्वरुपी मानवाच्या आयुष्यासोबत जोडला गेलेला आहे. त्यामुळे काही गोष्टी अशा ठेवा, तब्येतीशी निगडीत आणि कोविडच्या संदर्भात ज्याच्यामध्ये प्रयोग करायला जाऊ नका. यामध्ये एक विषय आहे, तो म्हणजे मास्क.
लहान मुलं किंवा मोठे व्यक्ती यांचा मास्क हा तीन लेयरचा असावा. कोरोनाच्या विषाणूला रोखण्यासाठी तीन लेयरचा मास्क हा गरजेचा आहे. लहान मुलांना चांगले शिकवले तर ते सेंसियर असतात. अगदी ६ ते ७ वर्षांच्या पुढची मुलं यांच्या मापाचे एन९५ मास्क अजून आलेले नाही, हे मोठं दुःख आहे. तर एन९५ या मास्कच्या नाकाला अडकवल्या जाणाऱ्या दोरीला गाठं मारली तर लहान मुलांना ते मास्क व्यवस्थित तोंडावर बसेल. कोरोनाची साथ पसरलेली असताना लहान मुलांना दोन एन९५ मास्क वापरले पाहिजे. तसेच कापडी मास्क वापरणार असाल तर त्यामध्ये तीन पदर असतील असे मास्क वापरणे.
किती प्रकारचे मास्क आहेत?
कापडी मास्क
सर्जिकल मास्क
एन९५ मास्क
एफएन९५ मास्क
सर्जिकल मास्क काय असतो?
आरोग्य विभागाशी संबंधित क्षेत्रातल्या लोकांकडून अधिक वापर.
कापडी मास्कच्या तुलनेत अधिक सुरक्षित.
नोज वायर आणि अधिक लेयरवाले मास्क सुरक्षित
दरदिवशी ५० पेक्षा अधिक लोकांचा संपर्क होत असेल तर त्यांनी आधी सर्जिकल मास्क लावावा, आणि वरती एन९५ मास्क लावावा. अशा प्रकारे दोन मास्क लावले तर हे आदर्श असेल.
कोणते मास्क वापरू नयेत?
जो मास्क चेहऱ्यावर व्यवस्थित बसणारा नसेल.
श्वास घेताना त्रास होणाऱ्या विशिष्ट कपड्याचे मटेरियल वापरू नयेत.
सिंगल लेयर मास्क टाळावा.
पदर, उपरणे, कपडे, रुमाल इत्यादी तोंडाभोवती बांधला तर तो मास्क झाला, असा खूप लोकांचा गैरसमज आहे. ग्रामीण भागातील ५० टक्के लोक अशा पध्दतीच्या मास्कचा वापर करताना दिसून येतात. मास्क लावल्यावर जीव गुदमरल्यासारखं ज्यांना वाटतं त्यांनी मास्क लावून ऑक्सिजनची पातळी चेक करा. ९७च्या पुढे ऑक्सिजन सॅच्यूरेशन राहत असेल, तर ही तुमची मानसिक समस्या असून शारीरिक समस्या नाही. मास्क हा सवयीचा भाग आहे. जेव्हा जेव्हा कोरोनाची लाट येईल, त्यावेळी एन९५ मास्क वापरणे गरजेचे आहे. कापडाचा मास्क वापरत असाल तर रोज एक सर्जिकल मास्क लावा. मग कापडाचा मास्क वापरा.
एन९५ हा सर्वसामान्यांना परवणारा नसेल तर गरिबातल्या गरीब माणसांने महिन्याला ५ एन९५ मास्क (एक एन९५ मास्कची बाजार किंमत २० रुपये) खरेदी करावे. स्वतःचा जीव वाचवायचा असेल तर तुम्हाला महिन्याला १०० रुपये बाजूला काढणे आवश्यक आहे. आता हे पाच मास्क महिनाभर कसे वापरावे हे बघुया.
पाचही मास्कवर १ ते ५ नंबर टाकावे. एक मास्क वापरायला काढल्यावर जे चार मास्क वापरात नाही आहेत. ते उन्हामध्ये कपडे वाळवण्याचा चिमटा लावून वाळत घालावे. एक पूर्ण दिवस मास्क वापरून होईल, त्यानंतर दुसऱ्या नंबरचा मास्क वापरायला काढा. ७२ तासांमध्ये पहिल्या दिवशी वापरात काढलेला मास्कचे निजंर्तुकीकरण होते. मास्कची विल्हेवाट लावण्यासाठी त्यांना जाळलं गेलं पाहिजे. इतरत्र टाकलेले मास्क दिसतात हे अत्यंत चुकीचं आहे. याच्यातून संसर्ग वाढू शकतो. दुसरा पर्याय म्हणजे जमिनीत एक खोल खड्डा खणून मास्क पुरुन टाका.
७२ डिग्री सेंल्सियसच्या पुढे कोविड १९ हा विषाणू जिवंत राहत नाही. गरम पाण्यात मास्क टाकून धुवून पिळून सुकायला ठेवायचे. ब्रॅण्ड आणि हायफायच्या नादात मास्क खरेदी करून नका. तर आपण तीन पदरचा मास्क घरच्या घरी बनवू शकता. फिल्टरचे मास्क हे कुणीही वापरू नयेत. कारण फिल्टर मास्कमुळे स्वतः सुरक्षित राहता पण इतरांना बाधित करता. यात सर्वात जास्त धोका कुटुंबियांना होतो. मास्क हा फक्त स्वतःच्या सुरक्षिततेसाठी नाही आहे तर समोरच्याही सुरक्षिततेसाठी आहे. महाराष्ट्र शासनाच्या अन्न व औषध प्रशासनाने मास्कच्या किंमतींवर नियंत्रण आणलेले आहे. सर्जिकल किंवा एन९५ मास्क असू द्या, याच्या किंमती निर्धारित केलेल्या आहेत. तसेच त्या उपलब्ध देखील आहेत. मास्कची याच्यापेक्षा जास्त किंमत आढळून आली, तर तुम्ही जागृत ग्राहक राहून अन्न व औषध प्रशासनाला किंवा ग्राहक पंचायत यांना कळवले पाहिजे.
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